Saturday, 4 February 2012

वो पुरानी डायरी


उन किताबों में एक पुरानी डायरी भी थी 
थोड़ी धूल जमी  थी   उस  पर, 
खुद  हाथो  से   साफ़  किया 
पन्ने  कुछ  पीले  पढ़  चुके  थे  उसके  
और  आँखों  से  एक  आंसू  छलक  कर   गिर  पड़ा  उस  पर   

उन किताबों में एक पुरानी डायरी भी थी
कुछ  खट्टी, कुछ  मीठी 
यादें  बसी  थी  उसमे, 
गुलाब  का  एक  फूल  भी  था   उसमे   
पत्तियाँ  सूख  के टूट  चुकी  थी  उसकी  
पर  खुशबू   अभी  भी  बाकी  थी उसमे  

उन किताबों में एक पुरानी डायरी भी थी
कुछ  सालो  पहले  खो  गई  थी  मेरी  डायरी, 
आज  मिली  तो  याद    गई  
उन स्याही के दिनों  की 
और  लौट  आई  जीने  की  आस  
पर  आज   वो  स्याही  है    ही  वो  दिन 
मैंने  खुद  को  खो  दिया  है  कही 

उन किताबों में एक पुरानी डायरी भी थी.........

7 comments: