उन किताबों में एक पुरानी डायरी भी थी
थोड़ी धूल जमी थी उस पर,
खुद हाथो से साफ़ किया
पन्ने कुछ पीले पढ़ चुके थे उसके
और आँखों से एक आंसू छलक कर गिर पड़ा उस पर
उन किताबों में एक पुरानी डायरी भी थी
कुछ खट्टी, कुछ मीठी
यादें बसी थी उसमे,
गुलाब का एक फूल भी था
उसमे
पत्तियाँ सूख के टूट चुकी थी उसकी
पर खुशबू अभी भी बाकी थी उसमे
उन किताबों में एक पुरानी डायरी भी थी
कुछ सालो पहले खो गई थी मेरी डायरी,
आज मिली तो याद आ गई
उन स्याही के दिनों की
और लौट आई जीने की आस
पर आज न वो स्याही है न ही वो दिन
मैंने खुद को खो दिया है कही
उन किताबों में एक पुरानी डायरी भी थी.........
nice bro keep it up......:)
ReplyDeleteBeautiful poem :)
ReplyDeletethank you...
Deletethank you...
DeleteExcellent! Sweet memories! Good old days....I also like OLD BOOKS[including old diaries] old friends & old wine.
ReplyDeleteGood work Priyank! Keep writing & updating.
ReplyDeletelovely! :)
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